Sunday, January 24, 2016

सामाजिक संतुलन ही एकमात्र समाधान है.यही न्याय और यही धर्म है.

#नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री भारतवर्ष ,उनके सिपहसालार,,सहयोगी,तथा भागीदारों ने कभी भी यह नहीं सोचा की राष्ट्र भक्ति,आतंरिक और सामाजिक सुरक्षा वकालत ,पुरजोर भाषण ,शक्ति प्रदर्शन,और संख्या से नहीं निर्मित किया जासकता.केवल और केवल संतुलन बनाने से सर्वाँगीड़ विकास संभव है.इन सभी का प्रति दिन यह प्रयास रहता है की वे समाचारों में बने रहे और सामाजिक संतुलन का सत्त्या  नाश करते हैं.कभी हिन्दू मुस्लिम तो कभी हिन्दू क्रिस्चियन तो कभी उच्च वर्ग तथा  पिछड़ा वर्ग  करनiरः ही नहीं बल्कि इन में नवयुवकों को उनके वर्चश्व लिए वर्ग भेद की नीति तथा विनाश के लिए प्रयास करते रहतेहैं
.राष्ट्रीय स्वयं   सेवक संघ ने अपना कार्य १९२५ के आस पास करना शुरू किया.सत्तर साल के बाद भी सारे हिन्दू भाईओं को अपना नहीं बना सके .यह अब संभव नहीं.दो काम साथ नहीं कर सकते.शाशन और समाजनिर्माण (एकता). सामाजिक  संतुलन ही एकमात्र समाधान है.यही न्याय और यही धर्म है.यही से सर्वाँगीर विकाश  का उद्गम है.नागपुर से केवल नगवाणी की शिक्षा होती है.आवश्यकता अमृत वाणी की है. 
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