Friday, October 27, 2017

मानसिक असुंतलन भारत का नया दुश्मन है थोड़े को बड़ा समझना भाई.

मानसिक असुंतलन भारत का नया दुश्मन है थोड़े को बड़ा समझना भाई.
 हमारे दहलीज़ पर कब का दस्तक दे चूका है.इस की रामलीला हमारे घरों   में ,विद्यालयों में ,विश्वविद्दालयों में ,सरकारी दफ्तरों ,राजनैतिक दलों में,सड़कों ,बाज़ारों में,यहां तककि धर्म गुरुओं में ,आदि आदि में में ....देखा जासकता है.मेरा   जन्म १९३९में हुवा ,जीवन के किसी मोड़ पर मानसिक असुंतलन की रास लीला जितना इस वर्ष देखने को मिली वह कभी इस भयंकर रूप में नहीं देखा जसका .इस का एक साक्ष घरों में ,पास पड़ोस में ,नगर ,गांव  में  इस रूप में मिला की अब न्याय के उम्मीद लगभग  ख़त्म हो चुकी है  .आप स्वयं बच जाएं इसकी आप के आत्म बल ,अदुतीय मानसिक  शक्ति , नैतिकता और बड़े मूल्य ही हैं.
. यह महामारी बढ़ती जा रही है.इस का रोमांच टेलीविशन   चैनलों पर आसानी से देखा जा सकता है.देश के बड़े नेताओं के मुंह से निकलता साफ दिखाई देता है.आपने अभी राधिका मां को मांसिक असुंतलन खोते पाया .
सड़कों को देख लीजिये ,हर सात दुपहिया  में से दो अवश्य दिन में ही हेड लाइट देखे   जायेगें .मैं लगभग चार महीनो से बेज़ार हूँ के  ऐसा कियों है.मैं इस नतीजे से पर पहुंचा हूँ की यह इनसब की मानसिक असुंतलन के सिम्टम एवं उन की बेचैन होने की  शहादत है.मानसिक असुंतलन के लक्षणड है.अब यह असुंतलन सड़कों परआ चुकी हैं. हरतरफ यह जलवा देखा जासकता है.
आप को सोचना पड़े गा दो भले और बड़े घरों लड़के आये  मेरी कई से खड़ी  टाटा टैगोर (बिलकुल किनारे खड़ी  करदीगयी थी) .यह भाई    रियल स्टेट बिज़नेस देखा ,रिवर्स किया अपनी नयी कर से  टक्कर मार्डी और हर बेतुके तर्क से मात  देने की कोशिश की लेकिन मुझ से चलना कठिन पाकर हार मानली  . फ्राइडे था  ामस्जिद गया और मानसिक असुंतलित इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ी.घर आया मानसिक असंतुलन   का बेहतरीन नमूना देखा .

तै करलिया अपना बचाओ करो ,सच का युद्ध न करो .सब कुछ अल्लाह पर छोड़ दो.फिर नवम्बर को अपनों के  मानसिक असुंतन को देखने सुरक्षित लोट आऊँगा.मुझे शक है.पर अविजित ज़रूर लौटें गे   .यह काठ की और गांव की हांड़ी है ना.

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