इतिहास के
झरोखे से:- (क्या बाबरी मस्जिद राम मंदिर तोड़ कर बनी ?)
संघ और भगवा
गिरोह का आरोप है कि सन् 1528 में मुगल
बादशाह के सिपहसालार मीर बाकी ने राम जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर बाबरी
मस्जिद बनाई।
तब मेरे मन
में यह सवाल उठा कि तब क्या इस देश का बहुसंख्यक समाज इतना नपुंषक था कि अपने
अराध्य देव राम के जन्मस्थान जैसे महत्वपुर्ण स्थान पर बने मंदिर को टूटते देखता
रहा और ना उसने इसका विरोध किया ना आंदोलन ? ध्यान दीजिए कि तब इस देश में मुसलमानों की
संख्या बेहद कम ही थी बल्कि ना के बराबर थी। और इतिहास में मंदिर टूटने पर विद्रोह
होने या विरोध प्रदर्शन करने का कोई प्रमाण संघी साहित्यकार और संघी इतिहासकारों
की पुस्तकों में भी नहीं।
तब मेरे मन
में सवाल आया कि यदि उसी जगह राम ने जन्म लिया और वहाँ मंदिर बना तो वह सुनसान जगह
अयोध्या शहर से इतनी दूर क्युँ ? रामजनकी महल , कनक भवन और
हनुमान गढी से इतना दूर जाकर रानी कौशल्या के राम को जन्म देने का कोई कारण था या
यह झूठ गढा गया क्युँकि यदि जन्म वहीं हुआ और उस स्थान पर मंदिर बना तो उसके आसपास
एक डेढ़ किलोमीटर तक कोई आबादी क्युँ नहीं ? क्या रानी कौशिल्या जंगल में राम को जन्म
देने गयीं ?
इस सवाल का
जवाब ढूढने के लिए मैंने मुगल पीरियड के आसपास और उनके बाद के हिन्दूवादी
महापुरुषों और उनके व्याख्यानों पर अध्ययन किया , और अध्ययन किया उन हिन्दू राजाओं और सिख महापुरुषों
पर क्युँकि सिख धर्म तो मुगलों के समय ही और उनसे लड़कर ही फैला।
फिर मुझे मिले कुछ नाम
गुरु गोविंद
सिंह जी , वीर शिवा जी , महर्षी दयानंद जी , स्वामी विवेकानंद जी , महात्मा गाँधी जी , जवाहर लाल नेहरू जी , सरदार पटेल जी , सावरकर , गोवलकर , हेडेगवार , श्यामा प्रसा मुखर्जी , पंडित दीन दयाल उपाध्याय और वह अंग्रेज तथा
वामपंथी और संघी इतिहासकार जिन्होंने मुगलों का इतिहास लिखा।
सिखों के
दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी "पटना साहेब" में पैदा हुए और उस दौर
में मुगलों से 14 युद्ध लड़े
जिसमें उनके चार बेटे मार दिए गये , पटना से आते जाते अयोध्या पड़ता ही है पर
उन्होंने कहीं यह नहीं कहा ना लिखा कि उनके राम के मंदिर को तोड़कर बाबर ने मस्जिद
बनावाई। जाप साहिब , अकाल उस्तत , बचित्र नाटक , चण्डी चरित्र के 4 भाग , शास्त्र नाम माला , अथ पख्याँ चरित्र लिख्यते , खालसा महिमा जैसी रचनाओं में मंदिर तोड़कर
मस्जिद बनाने का एक शब्द कहीं नहीं लिखा , और यही नहीं उन्होंने मुगल शासक औरंगजेब को
पत्र लिखा "ज़फ़रनामा" , उसमें भी मुगलों के इस कृत्य का कोई ज़िक्र
नहीं।
शिवा जी सारा
जीवन मुग़लों से लड़ते रहे उन्होंने कहीं नहीं लिखा या कहा कि राम के मंदिर को
तोड़ कर बाबर ने मस्जिद बनाई।
महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जिनका जन्म 1824 और मृत्यु 1883 में हुई उनसे बड़ा हिन्दूवादी कौन होगा ? उन्होंने तो फैजाबाद में ही खड़े होकर सभी
धर्म के लोगों से शास्त्रार्थ करते थे पर उन्होंने कहीं रह व्याख्यान नहीं दिया ना
कहीं लिखा कि राम मंदिर तोड़कर बाबर ने बाबरी मस्जिद बनाई। उनकी लिखी किताबों
संस्कृत , रत्नमाला,पाखण्ड खण्डन , ऋग्वेद भाष्य , वेद भाष्य भूमिका ,अद्वैतमत का खण्डन , पंचमहायज्ञ विधि वल्लभाचार्य मत का खण्डन आदि
में एक शब्द भी दिखा दीजिए कि बाबर ने राम का मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई।
स्वामी विवेनानंद से बड़ा इस देश में हिन्दू प्रचारक और हिन्दुत्ववादी कौन हुआ है जिन्होंने
शिकागो में जाकर सनातन धर्म के लिए जो व्याख्यान दिया उसे आज तक का सबसे शानदार
व्याख्यान कहा जाता है।
उन स्वामी
विवेकानंद ने अपनी लिखी 200 किताबों
ज्ञानयोग · हमारा भारत · आत्मानुभूति तथा उसके मार्ग · हिन्दू धर्म · शिकागो वक्तृता · भगवान बुद्ध तथा उनका सन्देश · हे भारत उठो जागो · युवकों के प्रति · भारतीय व्याख्यान · कर्मयोग · मरणोत्तर जीवन · सार्वलौकिक नीति तथा सदाचार · व्यक्तित्व का विकास · शिक्षा · प्राच्य और पाश्चात्य · वेदान्त · धर्मविज्ञान · महापुरुषों की जीवनगाथाएँ · विविध प्रसंग · राजयोग · विवेकलहरी · परिव्राजक मेरी भ्रमण कहानी · नारद भक्तिसूत्र एवं भक्तिविवेचन · मेरा जीवन तथा ध्येय · सरल राजयोग · प्रेमयोग · मेरी समर-नीति · मन की शक्तियाँ तथा जीवन-गठन की साधनाएँ · सूक्तियाँ एवं सुभाषित · पवहारी बाबा · नया भारत गढ़ो · वर्तमान भारत · हिन्दू धर्म के पक्ष में · व्यावहारिक जीवन में वेदान्त · जाति संस्कृति और समाजवाद · देववाणी · ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ · धर्मतत्त्व · भारत और उसकी समस्याएँ · भगवान श्रीकृष्ण और भगवद्गीता · भक्तियोग · अग्निमन्त्र · चिन्तनीय बातें · भारत का ऐतिहासिक क्रमविकास एवं अन्य प्रबंध · आत्मतत्त्व · भारतीय नारी में कहीं एक शब्द नहीं लिखा कि
बाबर ने उनके अराध्य देव "राम" के मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई।
महात्मा गाँधी जिनके अंतिम सासों में भी "हे राम" था ,
जिन्होंने "सत्य के प्रयोग" किए इस
देश में "सत्य अहिंसा और प्रेम" का एक नया अध्याय लिखा उन्होंने भी कभी
कहीं एक शब्द ना बोला ना लिखा कि उनके राम के मंदिर को गिराकर बाबर ने मस्जिद
बनाई।
इस देश के
इतिहास को प्रमाणित करने वाली पुस्तक"डिस्कवरी आफ इंडिया" लिखने वाले और
इस देश में सबसे पहले मुगलों को आक्रमणकारी कहने वाले देश के प्रथम प्रधानमंत्री
जवाहर लाल नेहरू की तमाम पुस्तकों में ना कहीं यह लिखा कि राम के मंदिर को तोड़कर
मस्जिद बनाई गयी।
सरदार वल्लभ भाई पटेल
जो आज कल
संघियों के प्रिय हैं उनका कोई बयान कोई किताब नहीं कि बाबर ने राम के मंदिर को
तोड़कर मस्जिद बनाई , बल्कि वह तो
बाबरी मस्जिद में मुर्ति रखे जाने के ही खिलाफ़ थे और उसी क्षण मुर्तियों को वहाँ
से हटाने के पक्ष में थे पर सहिष्णु हिन्दू और ढुलमुल यकीन नेहरू ने ऐसा होने नहीं
दिया।
अब आइए रामचरित मानस के आधुनिक रचईता "गोस्वामी तुलसीदास"
पर जिन्होंने
अयोध्या के सरयू नदी के तट पर बैठ कर एक से एक 23 रचनाएँ कीं
1- रामचरितमानस , 2- रामललानहछू 3- वैराग्य-संदीपनी 4- बरवै रामायण , 5-पार्वती-मंगल , 6-जानकी-मंगल , 7- रामाज्ञाप्रश्न , 8-दोहावली, 9-कवितावली , 10- गीतावली 11- श्रीकृष्ण-गीतावली 12- विनयपत्रिका, 13- सतसई 14- छंदावली रामायण 15-कुंडलिया रामायण 16- राम शलाका , 17-संकट मोचन , 18- करखा रामायण ,19-रोला रामायण , 20-झूलना , 21- छप्पय रामायण , 22-कवित्त रामायण, 23-कलिधर्माधर्म निरुपण
और इतने बड़े
रामभक्त गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी इन 23 रचनाओं में कहीं एक शब्द नहीं लिखा कि बाबर
ने उनके अराथ्य देव राम का मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनवाया।
संघियों और भगवा आतंकियों का झूठ देखिए कि उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास के
दोहों से मिलते जुलते रस में एक नया दोहा बाबरी मस्जिद के लिए लिख कर यह झूठ फैला
दिया कि यह गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी पुस्तक "तुलसी शतक" में लिखा है।
आपको जानकर
हैरानी होगी कि "तुलसी शतक" नाम की कोई पुस्तक गोस्वामी तुलसीदास ने कभी
लिखी ही नहीं , यह देखिए फेक
दोहा
रामजनम महीन
मंदिरहिं, तोरी मसीत
बनाए।
जवहि बहु
हिंदुन हते, तुलसी किन्ही
हाय।।
दल्यो मीरबाकी
अवध मंदिर राम समाज।
तुलसी ह्रदय
हति, त्राहि त्राहि
रघुराज।।
रामजनम मंदिर
जहँ, लसत अवध के
बीच।
तुलसी रची
मसीत तहँ, मीरबांकी खाल
नीच।।
रामायण घरी
घंट जहन, श्रुति पुराण
उपखान।
तुलसी जवन
अजान तहँ, कइयों कुरान
अजान।।
यही नहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना दिवस 27 सितंबर 1925 से लेकर 1984 तक राम मंदिर और बाबरी मस्जिद पर कभी एक बयान
नहीं दिया।
और तो और संघ
के सबसे ज़हरीले गोवलकर , सावरकर , बलिराम हेडेगवार , पंडित दीन दयाल उपाध्याय ,श्यामाप्रसाद मुखर्जी कि सभी सैकड़ों ज़हर
उगलती किताबों को पढ़ लीजिए उसमें भी कभी यह नहीं कहा कि अयोध्या में राम मंदिर
तोड़कर मस्जिद बनाई गयी। और तो और 60 साल तक बाबरी मस्जिद संघ के एजेन्डे में कभी
नहीं रहा ना कभी संघ ने यह कहा कि इस देश में फला जगह राम मंदिर तोड़कर बाबर ने
मस्जिद बनवाई।
स्पष्ट है कि
बाबर 1984 के बाद
अयोध्या आया और लाल कृष्ण आडवाणी की मौजूदगी में मंदिर तोड़ा और मस्जिद बनाकर फिर
मर गया।
सोचिएगा कि इस
झूठ पर बना "राम मंदिर" श्रीराम को कितना स्विकार्य होगा ?

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