Monday, March 24, 2014

.व्यक्ति ही विनाश का पर्याय बनता जा रहाहै.

अठारह हज़ार (नर मादा ) प्राणी धरती पर पैदा किये गए .मनुष्य को सर्वोत्तम जीव का दर्जा दिया गया..इस जीव को जुबान की  नियमत अतi की गयी .सारे जीव, मनुष्य को   छोड़कर kabhi    भी किन्ही परिष्ठितयों   में भी अपनी भाषा   का पर्योग निर्विवाद करते चले आरहे हैं.कुत्ते,सुवर,गधे ,कव्वे भी नहीं बदले. पर आज के नेतागण पल में  बदल रहे हैं . यह   निहायत  ही गिरे  हुवे लोग हैं .हिंदु अगर मुसलमान हो जाये ,मुसलमान हिन्दू होजाय तो वह अपना धर्म ,ईमान भी हमेशा के लिए बदलदेता है . विश्वास पर ही सब कुछ आधारित है.व्यक्ति ही विनाश   का पर्याय बनता जा रहाहै..विकाश एक ढोंग और मुखोटा है.विकाश का नारा धोका है.निराकरण कहीं और है.हम भर्मित है औरों को भी छल रहे हैं.हम   सुकर्म करें यही हमारी समस्याओं कानिदान है .

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