"#संघ
का
सर्वे:राम
मंदिर
चुनाओ
का
मुद्दा
नहीं
विकास मुद्दा है
"
यह सन्देश वह भी
राष्ट्रीय सोयं सेवक
संघ के
दुवारा कहे
गए ये शब्द
देश वासियों
को गुमराह करने
का अंतिम पर्यास
है.यह रामबाण
केवल और केवल
सत्ता तक तक
पहुँचने का तिलमिलाया
हुआ वक्तबब्य् है.इन का
विश्वास है कि
सत्ता पर पहुँचने
के बाद तमाम
योजनताएं सफलता पूर्वक पूरी
की जासकती
हैं .महाराजे धर्म
रक्छा भी कर
सकते हैंऔर शुद्धीकरण
तो हाथों का
खेल है.हिन्दू
राष्ट एक सरलतम योजना
है. पहले पाओ
फिर दिखाओ .यह
धूर्तों का छडयंत्र
मैं तो भलीभांत
समझता हूँ..यह
कहने और करने
कि आवश्यकता कियो
पड़ी? २७२ का
आंकड़ा दिल्ली बहुत
दूर है.भय
इन को खटक रहा
है.निर्वाचन के
दिन तक अपनी
तीर से तरकस
निकलता रहे.गा.

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