Monday, May 2, 2016

हम ने आपका आग लगाना और आग बुझना भी देखलिया

 ये  इश्क़   नहीं  आसा   ,बस इतना   समझ  ली  जे 
ये  आग  का   दर्या  है  डूब   के  जाना  है .
आपने स्नातकोत्तर रानीति में गुजरात विश्विद्यालय से किया है.आप को कोटि कोटि बधाई हैI आप स्नातकोत्तर साहित्य में भी कर लें.राजनीती निहायत घटया कार्य क्रम होता जा रहा हैI ऊपर के शेर से इसेअति महगें इश्क़  को समझा जासकता है.यह एक भयंकर आग है जो न लगाए लगती है न बुझाए बुझती हैI

उत्तराखंड के जंगल में  आग न किसी ने  लगाई और नहीं ६००० वयक्तिओं के दल ने इसे बुझायाI जिस भोंडे तरीके से बुझाया जा रहा था केवल पानी का दुर्पयोग ही था I  आपने आप जली है तो अपणे आप बुझेगी .राज्य पाल् शाशन तो कई दिनों तक तमाशा देखता रहा और तमाशा करता रहा I  हम ने आपका आग लगाना  और आग बुझना भी देखलिया I      

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