Wednesday, August 23, 2017

मेरी नमाज़-ये- जनाज़ा पढ़ाई गैरों ने मरे थे जिनके लिए वह रहे वज़ू करते.

मेरी नमाज़-ये- जनाज़ा   पढ़ाई गैरों नेI
मरे थे   जिनके लिए वह रहे  वज़ू करते.II(By an Unknown).
हरकोई सीने वाला है .हर सीने में वहूतकुछ राज़ छिपे होते हैं.किसी के में थोड़े से और कुछ के बहुत सारे से.इन में बड़े चौड़े वाले   सीने वाला वह है जो इन राज़ों को सिर्फ और सिर्फ अपने तक और अपने खुदा तक सीमित रखता है.इस की लम्बाई   और चौड़ाई निरर्थक है अगर वह व्यक्ति गली कूचे कहता फिरता है.इसी को धैर्य अथवा सब्र की संज्ञा दी जाती है.मेरे सीने में भी राज़ छिपे हैं जिसे मैं सिर्फ सिर्फ अल्लाह से मुखातिब होता हूँ.हाँ इन्हे क़लम   बंद भी करदिया है छोटे प्राणी होने के नाते किसी ने किसी ने इसे इस लायक नहीं समझा.जब कभी इन पर नजर    डालता   हूँ अजीब किस्म की अनुभूति होती है.अब तो ज़माना है बिलबिलानेतिलमिलाने का.

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