Wednesday, February 21, 2018

शौचालय की आवश्यकता भी नहीं सारा कार्यालय बनाने में और सरकारों के पेट में.



§       प्रिय    मित्र  आप  यह  बताएं  की  यह  फॉर्मूले  किसने ईजाद किया ?"   खाऊं  गए     खाने  दूंगा .भारत  के  किस  चिंतक  ,प्रचारक  और  उद्घोषक  का  है ?
·         किया  वाक़ई  आप  को  नहीं  मालूम है ?
§        नहीं  .
§        आप  भी   बे  वकफूफ  हैं .आप  ने  #अरनब  गोस्वामी  से   कियों  संपर्क  नहीं  साधा  ?
·         उस  के  मुँह  में  छूट  बोलने  का  कैंसर  का  रोगी  है .
§        अच्छा  मैं  बताता  हूँ ,यह  शोशा   भारत  के  वर्तमान  प्रधान  मंत्री  का  है .
·         आप  को  पता  है  ऐसा  कियों  कहा  ?
  "खाएंगे  तो  जाएं  गे 
   खाएं  गए  तो  नहीं  जाएं  गे  
 नखाने  दे  गे  नहीं  जाएं  गे ."
§         कहाँ  ?
§         वहीँ  जहाँ  सभी  हर  रोज़  सुबह  तो  अवश्य  ही   जाते  हैं _
 स्वक्छ  सौचालय  
·         किया  अब  भी  इन  की  आवश्यकता  रहगयी  है ?
·         नहीं
·         .खाने  नहीं  दे  गे  तो  जाने  भी  नहीं  देंगे न रहे गए बन न बजेगी बांसुरी..
 शौचालय  की  आवश्यकता  भी   नहीं
इस  लिए  महगाई  बढ़ा  दी  है  .लोग    खरीदे  गे    खाये  गे  और  NA ही  शौचालय                 जाएं  गे  .
·         सारा  बुगट  कार्यालय बनाने  में और सरकारों के पेट में.


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