यात्राओं केवल यात्राओं
की सरकार.कीर्तिमान स्थापित करने की ओरअग्रसर.
रथ यात्रा ,पथ यात्रा ,जनआशीर्वाद यात्रा ,स्वाभिमान
यात्रा ,राख विसर्जन यात्रा ,सड़कयात्रा ,भड़क यात्रा ,भड़काऊ यात्रा ,मत दान यात्रा ,अभिमान यात्रा ,वायुयान यात्रा ,विदेश भ्रमण यात्रा
और अब स्वर्गीय अटल विहारी राख यात्रा .आखिर इन सब के पीछे क्या अर्थ निहित
हैयह तो यात्राएं का आयोजन करने वाले मुर्ख दार्शनिक जानते हैं अथवा अति बुध्य मान
नागरिक ही जान सकते हैं यात्राओं में सबसे उत्कृष्ट पक्षाताप यात्रा अथवा .प्रायश्चित यात्रा ,भरष्टाचार मुक्त भारत यात्रा का नामोनिशान देखने
को नहीं मिला
स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने अंतिम इक्षाओं में यह अनुरोध
किया था की इनकी मरणोपरांत अस्थि कलश
में संयोजित राख को गंगा में प्रवाहित की जाये
और हो सके तो इस को वायुयान द्वारा आकाश में भी उड़ा डिजाये.कांग्रेस सरकार ने ऐसा ही
किया .इस का उद्देश्य पवित्र मन से निकला अभिप्राय था.वोट तो उनके झोली मेंपहले से ही था .लेकिन मैं यह जानना चाहता हूँ की क्या अटल जी ने कही अपनी इच्छा में इस का उल्लेख किया
है?यदि ऐसा नहीं है तो क्या गीता या वेदों में किस व्यक्ति अथवा प्रसाशक की राख को भारत वर्ष के सभी प्रमुख नदियों में गाजे बाजे के साथ
पर्वाही किया जाये .छत्तिसगर के कार्यं में इनके नेताओं के पवित्र लगाओ का नाटक देखने
को आखिरमिल ही गया .
पिछले चार वर्षों से कभी भी किसी भाजपाई ने अटल जी का नाम तक
नहीं लिया .मोदी सरकार ने उनके स्वास्थ को लेकर या इनके सहयोगी चाटुकार अख़बार वाले
या टेलीविज़न वाली जमात ने कुछ भी लिखने और
बोलने से किनाराकशी कर रखी थी. मुझे इन की सच पर कभी विश्वाश नहीं रहा है .यह सभी सिर्फ और सिर्फ पदपाने और पद में बने रहने
का छलावा है.ऐसे प्राणी क्या शासन करसकते हैं जिनके मन इतने अपवित्र हों उनके कर्म
पवित्र भला कहाँ पवित्र होसकते है .यही तो
गीता ,पुराण और वेदों की शिक्षा है.यही तो विनाशकाले विपरीत बुद्धि
है.मुझे तो आश्चयॅ इन भारतियों पर होती है जो मूर्खाधिराज कहे जाने परभी शर्म नहीं
करते . इनको नI हीं झटका लगता है नI हीं खटका की
इनकी खटिया खड़ी होचुकी है.

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