Sunday, April 20, 2014

यह बौखलाहट,तिलमिलाहट,झुंझलाहट कयों जब आप की २७२ का आंकड़ा ३०० पर जा पहुंचा.पूरब में ,पच्छिम में ,उत्तर में दखिन में जब Bharat छोडो का nara लगरहा है


यह बौखलाहट,तिलमिलाहट,झुंझलाहट कयों जब आप की २७२ का आंकड़ा ३०० पर जा पहुंचा.पूरब   में ,पच्छिम में ,उत्तर में दखिन में जब Bharat छोडो का nara  लगरहा है
२०१४ के लोकसभा चुनाव   ने सभी दलों के मुखौटे उतार     दिए हैं.नाना प्रकार की योजनाएं लगभग २०१३ में ही शरू की गयीं .ऐसा घमासान जिसमें देश  विदेश के बुध जीवी समाज ने भी भाग लिया.अपने अपने पक्ष रखे .कई दल तो तिलमिलाहट में अपना आपा  भी खो चुके हैं.ऐसी तय्यारी  तो किसी ने सोचा भी था.चुनावों  कंट्रोल रूम  की स्थापना   ,आधुनिक उपकरणों का उपयोग,योजना बध तरीके से अति आधुनिक उपकरणों का समावेश  देखते बनता है.इस में मीडिया और टीवी चैनलों का भी काकी भागी दारी और साझेदारी r  ,तरफदारी देखते ही बनती है.सभी लगभग अपना मानसिक संतुलन खो चुके है.कर ,बल धन सभी का खुल कर प्रयोग किया जारहा है i .यह रामलीला केवल दल और उनके प्रत्त्याशिओं को भाती है.होना जो है उनको  पता नहीं.उपरवाला ऐसी करवटें बदल रहा है की सारे   चक्रब्यूह बिखरते नजर आरहे है.प्रत्यासी अपनी जुबान, मर्यादा,मानसिक संतुलन खो चुके हैं.कई नए राष्ट्रीय   स्तर  के नेता चैनलों ने पैदा करदिया.धड़ा  धड़ साक्षत्कार   ही साक्षत्कार  की श्ाृंखला    चल रही है राजठाकरे(मंस),अखलेश   सिंह यादव(समाजवादी ),आज़म खान (समाजबादी),मोदी ,राहुल,इत्तियादि काबले जिक्र है.राजठाकरे शिवाजी सामान लगते हैं,आज़म खान ने कई दसकों बाद मोहम्मद अली जेना का स्थान पाने वाले है.अब मुसलमानो को नेता मिलता दिखाई दे ररहा है.अखलेश को पीछे धकेलना  असंभव लगता है..पुरे सदीमें इतनी छूट नहीं बोली गयी जितना   इस चुनाव में. भारत को कांग्रेस ने बर्बाद करदिया है,किसी एंगल से नहीं दिखाई देता.गंगा जमुना तो सूख गयी लेकिन धन की नदियां बहरही है.मोदी लहर की अन्वेषणद टेलीविशन चैनलों ने किया .इस का इसी प्रश्न से सुबह होती और इसी धुन से पूजा.समय फसल काटने का भी है .भूसा ज़यादह.   फल कम मिलने आशा साफ दिखाई देती है.यह बौखलाहट,तिलमिलाहट,झुंझलाहट कईयों जब आप की २७२ का आंकड़ा ३०० पर जा पहुंचा.पूरब   में ,पच्छिम में ,उत्तर में दखिन में जब Bhaarat छोडो का nara     लगरहा.है.केवल तीन मूर्ति ही आपके हमले में  हैं.सोनिआ गांधी,राहुलगांधी,वाड्रा..यह हमारे शत्रु इस लिए हैं की आपके mazhab  से  कुछ अलग है.यह हटजाएँ आपका रास्ता साफ:उनिफ़िकेशन ऑफ़ पाकिस्तान,बंग्लादेश, अफ़्ग़ानिसनिस्तान ..ऐसा होने पर किस का चुनाव होगा कौन प्रधान मंत्रीबनेगा.कौन राष्ट्रपति बनेगा.आरएसएस का सपना कहाँ जायेगा.

मोदी जिन लोगो को सम्बोधित करते है उनेह वही गीत सुनते जो उन को पसंद है.कइयों इश्यूज की बात करें..हाँ मछली(मुस्लमान) जाल में नहीं फँसी .

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