"काज़िमिया दुबले कयों ,शहर के अंदेशे से "
काले दिल औरकोरे
दिमाग़ ऐसा ही सोचा
करते हैं.
आप सभी को
आम खाने मतलब
है या पेड़
गिनने से .वह
लोग जो मुँह
की खा चुके
हैं उनसे पत्रकार
भाई इन्ही से
यह सवाल करते
है के कि
केजरीवाल अथवा उन
की आम पार्टी
पैसे कहाँ से
लाये गी? कैसे
काम करेगी .यह
तो ऐसा ही
है जैसे :"काज़िमिया दुबले
कयों ,शहर
के अंदेशे से ".
"."कांटा चुभे किसी
को तड़पते हैं
हम अमीर".अभी
सफर का आग़ाज़
भी नहीं हुवा
सवाल किया जा रहा
है कि आप मंजिल
पर कब पहुंचे गे
?
केजरीवाल ने नयी
डिसा और शाशन
का आग़ाज़ किया
है.सीखने के
लिए आप को
उनका शागिर्द बनना पड़े
गा न की शुक्रात(सोकार्टीस).आम आदमीकी
छमता पर बहस
करें न की उन
को वोट कयों
मिला? The election ia over. Do
not continue the campaign for no gain. The
best thing that he did was his foresight to refrain from accepting a ministry
.It is good beginning .He is indeed answerable to good governance .Keep on watching
the two Ramlilas: one of Kejriwal and other of Modi .Actors behind former Ramlila are different.काले
दिल
औरकोरे
दिमाग़ ऐसा ही सोचा
करते हैं.

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