छूटे व्यक्ति के सच का जनाज़ा निकलना शाश्वत सत्य है
.यह व्यक्तित्त्व का इतना गंभीर कैंसर है की यह उस व्यक्ति को मृत्यु प्राय कर देता है
.यह नहीं की वह व्यक्ति सच नहीं बोलता है ,वह अपने छूट से कही ADHIK सच
बोलता है
,लेकिन अगर उस की बुन्याद छूट पर बन गयी तो सारा सच उस के छूट ने खा
रखा होता है
.
मोदी और उनके कंपनी ने छूट की बारिश कर के
के अपने सच की अर्थी निकाल
दी है
. अब उनकी सच पर तालियां शायद ही बजती है
.मोदी ने आज लोक सभा में सच्ची बांटें की किन्तु बहुत देर बाद
.वह भी आधे अधूरे मन से .कांग्रेस मुक्त बहरत तो न बन सका ,सोनिआ और राहुल मुक्त भी न हो सका
.मनरेगा योजना ओन के गले नहीं उत्तर रही है
.वह कांग्रेस सरकार (UPA) विनाश अस्तम्भ की संज्ञा देना बेहतर समझा जब की UPA सरकार तथा अंन्य जानकर इस स्कीम को विकाश अस्तम्भ्ा की संज्ञा देती रही है
.जिन विषयों की तरफ MODI साहेब ने पर्वचन दिया है वह सरकार की नहीं सरकारी कर्मचारियों की का छेत्र हा
I.अगर सरलीकरण भी वह नहीं कर सकते तो उन से किस बात की उम्मीद
की JA
SAKTI है .

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