#भारतीय जनता पार्टी
ने २८२ सांसद क्या सफल हुए की आसमान को सर
पर उठा रख्हा है.मेरी बातों को नज़र अंदाज़ इस लिए करदेती है की मेरा एक समुदाय विशेष से सम्बन्ध है.पहली बार आनेवाले
सांसदों की बात तो दर किनार इन के कतिपय चाटुकार :प्रमुख रूप से अरुण
जैइटली ,वेंकैया नायडू ,मुख़्तार नक़वी,ने कभी भी सूझ बुझ
का परिचय नहीं दिया.ये हमेशा आग में घी डालने का काम कर रहे है. राष्ट्रीय सूयम् सेवक
संघ सिन्हा,बीजेपी के सम्पतपात्रा &त्रिवेदी
ने कभी भी सूझ बुझ का परिचय नहीं दिया.मुझे
कहना न होगा की संपूर्ण रूप से #भारतीय जनता पार्टी की जुबान और हिर्दय दिशा विहीन
और असंवेदनशील है.शासन चलाना इन के दमख़म की बात नहीं.
आप का ध्यान इतिहास के पन्नो की तरफ
ले जाना चाहूं गा
माननीय हकीम लुक़्मान
जो पैग़म्बर बनने से पहले ग़ुलाम थे उन के मालिक ने उन से यह कहा की वो एक बकरे को ज़बह
करें और उस के दो अति महत्वपूर्ण अंग पेश करें .लुक़्मान महाशय ने बकरे
की जुबान और दिल को लेकर रख दिया..कुछ समय पश्चात मालिक ने फिर आदेश
दिया की इस बार बकरे को ज़ुबे करें और उसके दो अति खराब अंगों को पेश करें.
इस बार लुक़्मान साहेब ने बकरे की ज़ुबान
और दिल को ही हाजिर किया.मालिक ने उनसे इस की पुनर्आविृत ंकरने की वजह जान
ना चाहा .लुक़्मान साहब ने कहा की दिल और जुबान के जाएज़ और नाज़ायज इस्तेमाल को वजह बताया..बीजेपी की जुबान भी और दिल
भी ख़राब है.कोई परिवर्तन नहीं.

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