Saturday, July 29, 2017

अभी धरती से पहाड़ टूटकर आप को कुचल रहे हैं ?

न समझोगे तो मिट जाओगे हिंदुस्तान वालो I
तुम्हारी  दास्ताँ  भी  न  होगी  दास्तानों में II
हम ज़मीर फ़रोशोंके दौर में रह रहे हैं.प्रजातंत्र   अब  केवल  ज़मीर (अंतर आत्मा  विहीन  व्यापारियों )फरोशों  के  हाथ  में  .यहाँ  की  राजनीत  में  जो  भी  घट  रहा  है  इस  का  अंत  होना  ही  है .इस  तरह  के  वातावरण  में  विकास ,न्याय ,भाईचारह  ,नैतिक  आचरण  ,सौहर्द   अतीत  की  बात  रह  जाएगी   .अधर्मी  की  विजय  और  धर्म  की  पराजय  का  युग  है .जन  नेता  से  लेकर  जनता  जनार्दन    सर  ता  प्  भुक्त  भोगी  ,भोगविलाश  ,असंवेदनशील  और  अन्नायी  होचुकी  है .
अप्राक्रतिक  आपदाएं  इन  के  संकेत  है .विश्व  में  कौन  सा  देश  और   उसके  ,देशवासी  सुखी  हैं .हर  सुबह  और  हर  शाम  दर्दनाक  दहशत  की  दस्तक  सुनायी देती है. सावधन   होजायें  .अभी  धरती  से  पहाड़  टूटकर  आप  को   कुचल  रहे  हैं  .आने  वाले  दिनों  में  क्या    पता आसमान  से भी  पहाड़ गिरकर   आप  के  सर  कुचल  दें  .हमने  अभिमान  को  सर  पर  उठा  रखा  है .इसे  पाऊं  के  नीचे  कुचलना था .इस  प्रजातंत्र    का  पर्दाफाश  होना  ही  है ..आप  इन्हें भी  सुने  .धियान  दें . मैं  इनका  समर्थन  करता  हूँ

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