Saturday, April 23, 2016

भई गत सांप छछुंदर केरी .इन के भाग्य में थु थु ही लिखा है.

.निगला भी नहीं जारहा है और उगला भी नहीं.झूट का किला बनाते जारहे हैं.
केंद्रीय सरकार ने उत्तराखंड राज्य में राष्ट्रपति   शासन  लगाने का बड़ा जोखिम उठाया है.सत्ता हथियाने के अतिरिक्त कोई संवैधानिक कारण नहीं था.सरकार के सलाहकारों ने सोचा था की नव कांग्रेस के विधायक उनके पाले   में आगये   और सरकार ने कदम जमा दिया.बस देखते ही देखते सत्ता हाथ में.१८  मार्च से २७ अप्रैल तक का सफर(३७ दिन ) और उसमें न्यालय का अभूत पूर्व टिपणी ने उनका सीना छलनी कर दिया और तो और और नींद भी हराम करदी.भई गत सांप छछुंदर   केरी .निगला भी नहीं जारहा है और उगला भी नहीं.झूट का किला बनाते जारहे हैं.
उधर विजय बहुगुणा और उनके साथी चंडीगढ़ से जयपुर में मुंह छिपाते रहे.भारतीय   जनता पार्टी जिस संकट में है ,उसने सोचा भी नहीं था.बिना राज्यपाल के अनुशंषा के राष्ट्रपति   शासन रातों रत चोरी से लगा दियाजाये .जब केस न्यालय में गया तो अपनी सरकार बनाने के लिए इस राष्ट्र   पति शासन  को वापस कर अपनी सरकार बनाने का धिर्नित शाजिश   भी असफल पाया  हम उनके इस दुःख में शरीक हैं.

राष्ट्र   पति महोदय ने अपनी रही सही इज़्ज़त भी खाक में  मिला दी.अब क्या   होगा देखते जाये.  इन के भाग्य में थु थु ही लिखा है.  निर्वाचित सरकारको   हटाने का औचित्तय कदाचित नहीं था

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