साफ छिपते भी नहीं सामने आते भी नहीं
अजब पर्दा है की चिलमन से लगे बैठे हैं.
आज ही भगवत मोहन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महा मंत्री का बौखलाहट से उद्वेलित बयान सुनेको मिला .विशेषज्ञों ने इस के अनेक अर्थ लगाने का पर्यास किया है.भारतीय जनता दल के पर्वक्ता श्री जावडेकर ने भी शोध का निम्न अस्तरीय पर्यत्न किया है.
यह वक्तब्य ऐसे समय आया है जो निहायत गभीर संकट की तरफ इशारा करता है.१.
१.श्री मोदी साहेब का जादू फीका पड़ता देखाई दे रहा है.उन के विकाश के राज का पर्दाफाश हो चूका है .२.गुजरात की इस्मिता का भूल कर भी नहीं अब जिक्र किया जाता है .४.यकायक अंगला भाषा का पर्योग अत्यंत बचकाना लगता है.५.महा कुम्भ से लेकर विश्व हिन्दू परिषद् का चौरासी कोस यात्रा लगभग असफल हो चुकी है ६ंउत्तर प्रदेसमें बाँटने का तांडव सफलीभूत नहीं होसका.८.पुर्वा ग्रह मंत्री शाह को प्रतिदिन भयभीत किया जरहI है. ९ .२०१४ का सपना तथा भारत वासियों को बाटने की कोशिस और ऊनेह भटकाने का महाभारत अनिर्र्णित दिशा की ओर जारहा है..10 भारत वर्ष की MEDIA, पर्यवेषक ,विद्वान भटकते नहीं देखाई दे रहे हैं.११अन्य .राजनेतिक दल भी तलवार खीच चुके है.ऐसे में भागवत जी का संबोधन भारतियों को बाटने का अंतिम पर्यास है मात्र है.
अजब पर्दा है की चिलमन से लगे बैठे हैं.
आज ही भगवत मोहन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महा मंत्री का बौखलाहट से उद्वेलित बयान सुनेको मिला .विशेषज्ञों ने इस के अनेक अर्थ लगाने का पर्यास किया है.भारतीय जनता दल के पर्वक्ता श्री जावडेकर ने भी शोध का निम्न अस्तरीय पर्यत्न किया है.
यह वक्तब्य ऐसे समय आया है जो निहायत गभीर संकट की तरफ इशारा करता है.१.
१.श्री मोदी साहेब का जादू फीका पड़ता देखाई दे रहा है.उन के विकाश के राज का पर्दाफाश हो चूका है .२.गुजरात की इस्मिता का भूल कर भी नहीं अब जिक्र किया जाता है .४.यकायक अंगला भाषा का पर्योग अत्यंत बचकाना लगता है.५.महा कुम्भ से लेकर विश्व हिन्दू परिषद् का चौरासी कोस यात्रा लगभग असफल हो चुकी है ६ंउत्तर प्रदेसमें बाँटने का तांडव सफलीभूत नहीं होसका.८.पुर्वा ग्रह मंत्री शाह को प्रतिदिन भयभीत किया जरहI है. ९ .२०१४ का सपना तथा भारत वासियों को बाटने की कोशिस और ऊनेह भटकाने का महाभारत अनिर्र्णित दिशा की ओर जारहा है..10 भारत वर्ष की MEDIA, पर्यवेषक ,विद्वान भटकते नहीं देखाई दे रहे हैं.११अन्य .राजनेतिक दल भी तलवार खीच चुके है.ऐसे में भागवत जी का संबोधन भारतियों को बाटने का अंतिम पर्यास है मात्र है.

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